दीपक जला देता
जो फूलों से गिरी शबनम उसे शोला बना देता
मैं अपने आँसुओं से सारी दुनिया को जला देता
तुम्हारी मुस्कराहट में ही मेरी जान बसती है
ह्रदय के दर्द को प्रियतम तुम्हें कैसे दिखा देता
तुम्हारे आज से की बात बीता कल छुपाकर के
दफ़न जो राज सदियों से भला कैसे बता देता
मेरे महबूब मेरी कब्र पर आकर जो तुम रोते
तुम्हारे आंसुओं से शाम का दीपक जला देता