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22 Oct 2021 · 1 min read

दीपक एक रख आओ ( गीत )

दीप एक रख आओ (गीत)
■■■■■■■■■■■■■■■
घर के बाहर जाकर जलता दीप एक रख आओ
(1)
घोर अमावस की अँधियारी रात आ गई काली
आसमान में चाँद नहीं है , दिखता सब कुछ खाली
पथिक द्वार से होकर जाए ,राह उसे दिखलाओ
दीप एक रख आओ
(2)
बिना चाँद के देखो ,दुनिया है सूनी कहलाती
जहाँ उजाला नहीं ,वहाँ पर दुनिया है कब गाती
घर के भीतर भी उजियारा ,बाहर भी फैलाओ
दीप एक रख आओ
(3)
जीवन का बस इतना मतलब ,खुश में रहना सीखो
अर्थ खुशी का भीतर – बाहर ,यह ही कहना सीखो
सूरज – चंदा रूठे यम से ,कह दो नहीं डराओ
दीप एक रख आओ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रविप्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: गीत
223 Views
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