दीपक अब रोजाना स्कूल जाएगा( छोटी कहानी)
दीपक अब रोजाना स्कूल जाएगा( छोटी कहानी)
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“क्यों दीपक ! साल भर से मैं यही देख रहा हूं कि तुम क्लास में 2 दिन आते हो और 6 दिन नहीं आते। इसका मतलब है ,तुम्हारी पढ़ने में कोई रुचि नहीं है । क्यों पढ़ना नहीं चाहते ? पढ़ने से ही तो कुछ बन पाओगे।”
– अविनाश ने अपने छात्र दीपक से जो कि कक्षा तीन में पढ़ता था जब यह कहा तो दीपक ने चेहरे पर बगैर कोई भाव लाए दृढ़ता पूर्वक जवाब दिया” साहब ! खाने के लिए रोटी और पहनने के लिए कपड़ा अगर हम मेहनत मजदूरी नहीं करेंगे तो कहां से जुटाएंगे?”
सुनकर अविनाश स्तब्ध रह गए । बेसिक विद्यालय में पढ़ाते हुए उन्हें अनेक वर्ष हो चुके थे लेकिन इस प्रकार से सीधा सपाट जवाब किसी छात्र की ओर से नहीं आया था।
” क्यों तुम्हारे पिताजी क्या काम करते हैं?”
” वह भी मजदूरी करते हैं ।कभी मिल जाती है, कभी नहीं मिलती । हम भी मजदूरी करते हैं कभी मिल जाती है कभी नहीं मिलती ।”
“ठीक है ! अब तुम क्लास में मन लगाकर पढ़ो । छुट्टी के बाद मेरे साथ अपने घर चलना। मैं तुम्हारे पिताजी से बात करुँगा।”
दोपहर को विद्यालय की छुट्टी हुई तो अविनाश ने दीपक के साथ उसके घर का रास्ता पकड़ा । दीपक के पिता जी से बात हुई , मगर उनका भी यही जवाब था” अगर बच्चे को काम पर न लगाएं तो घर का खर्चा कैसे चलेगा ?”
अविनाश ने दीपक के पिताजी से कहा” देखो ! सरकार ने एक प्रवर्तकता योजना निकाली है। इस योजना में दीपक को हर महीने ₹2000 सरकार की तरफ से मिल जाएंगे । बस शर्त यही है कि वह और कोई काम नहीं करेगा। अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर देगा। रोजाना स्कूल आएगा ।अगर तैयार हो तो हां कह दो और दीपक का भविष्य सँवार लो ”
दीपक के पिताजी की आँखों में खुशी के आंसू बहने लगे । बोले “साहब ! हमें तो इस योजना का पता भी नहीं चलता । अगर ऐसा हो जाए तो इससे अच्छा भला क्या होगा?”
अविनाश ने कहा” सही कह रहे हो। सरकारी योजनाएं जनता की भलाई के लिए बनती हैं लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में सही व्यक्तियों तक नहीं पहुंच पातीं और फाइलों में दम तोड़ देती हैं ।लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। दीपक पढ़ लिख कर बड़ा आदमी जरूर बनेगा।”
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लेखक : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451