दीन दुखियों का हो मंजर देखना।
ग़ज़ल
2122………2122………212
दीन दुखियों का हो मंजर देखना।
एक दिन लाचार होकर देखना।
मुफलिसों की जिंदगी भी जिंदगी,
हर समय इक दर्दे नश्तर देखना।
चादरें छोटी रहीं उनकी सदा,
हर समय ही पांव बाहर देखना
दर्द उनका बांटता कोई नहीं,
आयेंगे कितने सितमगर देखना।
गुल गुले गुलफाम गुलशन ख़्वाब हैं,
नाम उनके भूमि बंजर देखना।
गर करो महसूस उनके दर्द को,
बंद हो बस उनको वोटर देखना।
प्यार प्रेमी जैसा उनको दीजिए,
फिर खुशी का इक समंदर देखना।
……. प्रेमी