दिसंबर-जनवरी नववर्ष
—दिसंबर-जनवरी और नववर्ष—
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पति-पत्नी के रिश्ते सा होता हैं साथ
दिसंबर और जनवरी मास का साथ
दूर दूर हो जाते हैं ,पास पास हो कर
पास पास हो जाते हैं ,दूर दूर हो कर
दोनो ही मास मिलते हैं एक छोर पर
कभी भी लड़ते नहीं किसी मोड़ पर
सैकिंड के हाशिये पर कर दें बदलाव
नया साल आ जाता,बिन कोई सवाल
एक दूसरे का कभी ना करते अपमान
सदैव करते हैं आपस में मान- सम्मान
दिसंबर दे बीत जाने की विदाई पार्टी
जनवरी दिसंबर को देती स्वागत पार्टी
दोनों मास मिल कर चलते एक चाल
कोहरे- धुंध की ओट में बदल दें साल
सर्दी की पहन वर्दी पीते मय के जाम
मिल कर बना दे गैरों की रंगीन शाम
बीत गए साल को कहते हैं बाय बाय
आने वाले साल को कहते हाय हाय
संसार में उस रात मनाया जाए जश्न
नाच -गाने खुशियां मनाने में हो मग्न
बजाए जाते हैं उस क्षण खूब पटाखे
एक दूजे को बधाई देने के लगते तांते
हर्षोल्लास में आए नहीं उस रात नींद
हो जाते सभी खुशनुमा पलों के मुरीद
सुखविंद्र खुशियों भरा नया साल आए
दिसंबर- जनवरी का मेल जोल कराए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)