दिसंबर का ठंड
माह दिसम्बर ठंड का, बहुत बुरा है हाल ।
गरम लबादा ओढ़ना,स्वेटर ,मफलर ,शाॉल।। १
दिवस दिसंबर दैत्य-से, बहुत अधिक है ठंड।
जिस के सर पर छत नहीं,उसको लगता दंड।। २
हाय अभागे दीन की, लगी फूस में आग।
फटे पुराने ओढ़ कर, रात गुजारे जाग।। ३
घना कोहरा हर तरफ, शीत लहर की मार।
तन पत्ते सा काँपता,चुभता श्वेत तुषार।। ४
ऊनी कपड़े के बिना, सिहर रहें हैं अंग।
सुई चुभोती ये पवन, तंद्रा करती भंग।। ५
काटे से कटती नहीं, यह जाड़े की रात।
हाय मुसीबत तब बढ़ी, जब होती बरसात।। ६
निर्धन को इतना अधिक, दुख देता भगवान।
हाय अमीरी सो रही, गर्म रजाई तान ।। ७
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली