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10 Sep 2021 · 1 min read

” दिव्य -मन “

मधुर -मधुर चाँदनी ,
छिटका रही छवि ,
कल्पना से भर ….उठी ,
आज मेरी जिंदगी !
मधुर -मधुर चॉँदनी ,
छिटका रही छवि ……..!

मंद -मंद चुपके से ,
बहता बयार है ,
झरने की कलकल से ,
कहता ये राग है !
मंद -मंद चुपके से ,
बहता बयार है ,
झरने की कलकल से ,
कहता ये राग है !
आज हमें जीवन में………आज हमें जीवन में ,
मिल गया यहीं सभी
आज हमें जीवन में ,
मिल गया यहीं सभी !
मधुर मधुर चॉँदनी ,
छिटका रही छवि !
कल्पना से भर उठी ,
आज मेरी जिंदगी ………मधुर मधुर चाँदनी !

ये ऊँचे ऊँचे सर किये ,
ये पर्वतों की श्रृंखला ,
बन गए यहाँ की यह ,
दिव्य जीव घोषला !
ये ऊँचे ऊँचे सर किये ,
ये पर्वतों की श्रृंखला ,
बन गए यहाँ की यह ,
दिव्य जीव घोषला !
बार बार दिल कहे …….बार बार दिल कहे,
बार बार दिल कहे……. रहना यहीं कहीँ !

मधुर मधुर चाँदनी ,
छिटका रही छवि ,
कल्पना से भर ….उठी ,
आज मेरी जिंदगी !
मधुर मधुर चॉँदनी
छिटका रही छवि …..मधुर -मधुर !!

============

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “

Language: Hindi
Tag: गीत
221 Views
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