” दिव्य -मन “
मधुर -मधुर चाँदनी ,
छिटका रही छवि ,
कल्पना से भर ….उठी ,
आज मेरी जिंदगी !
मधुर -मधुर चॉँदनी ,
छिटका रही छवि ……..!
मंद -मंद चुपके से ,
बहता बयार है ,
झरने की कलकल से ,
कहता ये राग है !
मंद -मंद चुपके से ,
बहता बयार है ,
झरने की कलकल से ,
कहता ये राग है !
आज हमें जीवन में………आज हमें जीवन में ,
मिल गया यहीं सभी
आज हमें जीवन में ,
मिल गया यहीं सभी !
मधुर मधुर चॉँदनी ,
छिटका रही छवि !
कल्पना से भर उठी ,
आज मेरी जिंदगी ………मधुर मधुर चाँदनी !
ये ऊँचे ऊँचे सर किये ,
ये पर्वतों की श्रृंखला ,
बन गए यहाँ की यह ,
दिव्य जीव घोषला !
ये ऊँचे ऊँचे सर किये ,
ये पर्वतों की श्रृंखला ,
बन गए यहाँ की यह ,
दिव्य जीव घोषला !
बार बार दिल कहे …….बार बार दिल कहे,
बार बार दिल कहे……. रहना यहीं कहीँ !
मधुर मधुर चाँदनी ,
छिटका रही छवि ,
कल्पना से भर ….उठी ,
आज मेरी जिंदगी !
मधुर मधुर चॉँदनी
छिटका रही छवि …..मधुर -मधुर !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “