आनंद बरसे सर्वदा
आनंद बरसे सर्वदा
बेटी चली पी की गली,
सौभाग्य की बेला खिली।
आओ अशीषें प्यार से,
कर दें विदा सत्कार से।
बेटी तुम्हीं सौभाग्य हो,
दैदीप्य, तेरा भाग्य हो।
यह एक बंधन नेह का,
सम्मान हो उस गेह का।
हमने सुकृत जो भी किए,
अर्पित सभी तेरे लिए।
हर्षित रहो दोनों सदा,
आनंद बरसे सर्वदा।
इंदु पाराशर