दिव्य प्रकाश
सृष्टि चक्र में अंधकार एवं प्रकाश,
जीवन चक्र में हर्ष एवं विषाद ,
बोध चक्र में अज्ञान एवं संज्ञान ,
खोज चक्र में यथार्थ एवं अनुमान ,
न्याय चक्र में नीति एवं अनीति,
नियति चक्र में कर्म एवं परिणति,
अंतर्द्वंद चक्र में सत्यता एवं मिथ्या ,
सिद्धि चक्र में प्रज्ञा एवं विद्या ,
निर्वाह चक्र में क्षमता एवं व्यावहारिकता,
धर्म चक्र में आस्था एवं धर्मांधता ,
प्रेम चक्र में आसक्ति एवं विरक्ति ,
संस्कार चक्र में विचार एवं व्यवहार ,
राजनीति चक्र में आचार एवं जनाधार,
संकल्प चक्र में कर्मनिष्ठा एवं दृढ़ इच्छाशक्ति ,
सफलता चक्र में आत्मविश्वास एवं दूरदृष्टि,
इन विविध आयामों के चक्रों में उलझा हुआ मानव ,
प्रारब्ध के अंतिम चक्र से प्रयाण करता हुआ ,
सूक्ष्म शरीर लिए ब्रह्मांड के दिव्य प्रकाश पुंज में विलीन होने की परम गति को प्राप्त होता है।