दिव्य तुम अवतार हो
?दिव्य तुम अवतार हो ?
श्वेताम्बरा माँ,करे वीणा ! ज्ञान का आधार हो !
मरालवाहिनी अम्ब मेरी ,दिव्य तुम अवतार हो !
कोना – कोना वसुन्धरा का ,अचरजों से है भरा ।
है तेरी अनुकम्पा मानव,व्योम भेदे जा रहा
मातेश्वरी हो तव कृपा तो,बेड़ा सिन्धु पार हो !
मरालवाहिनी अम्ब मेरी,दिव्य तुम अवतार हो !!
हृदय हो मेरा श्वेत निश्चल,कण्ठ में वीणा बजे
नीर-क्षीर-विवेकी मनस हो,सीख वाहन से मिले !
माँ आचरण में हर मनुज के,बिम्ब तव साकार हो !
मरालवाहिनी अम्ब मेरी,दिव्य तुम अवतार हो !!
बालक हूँ मैं अबोध माता,प्रार्थना मेरी सुनो
हो जाऊँ न माँ दूर पथ से,हाथ मेरा थाम लो
वरदायिनी हे शारदा माँ, भक्त पर उपकार हो !
मरालवाहिनी अम्ब मेरी, दिव्य तुम अवतार हो !!
—✍हेमा तिवारी भट्ट ✍