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14 Dec 2021 · 1 min read

दिव्य काशी

“बम बम भोले की ये नगरी
अनंत अटल अविनाशी काशी l
देखो कैसे चमक रही है ,
बाबा विश्वनाथ की काशी l l

सदियों से जिसकी दीवारें ,
जीर्णोद्धार माँग रही थी l
अस्सी घाटों पे लहराती गंगे ,
गंगाधर को ढूंढ रही थी l l

देखो अब परिवर्तन की धारा,
कैसे बह रही चारों ओर l
अविरल बहती गंगा माता ,
और जलधारा बोले बम बम बोल l l

आज पूर्वज तृप्त हुए है ,
देवलोक भी हर्षित है l
काशी की ऎसी आभा देखकर ,
कैलाश भी हो गए विचलित हैं l l

शंकर का डमरू भी आहलादित ,
और नन्दी भी मस्त मगन हैं आज l
मानो अम्बर भी झूम रहा हो ,
धरती पर आने को आज ll

जन्म भी पावन और मृत्यु भी पावन ,
इस नगरी का कण कण पावन l
पाप मुक्त हो जाते जन जन ,
जो करते बाबा का अर्चन l l

संकल्प,कर्म,ज्ञान,सिद्धि ,
और मोक्ष का संगम काशी है l
जीवन और भस्म का भेद मिटा दे ,
वो केवल शिव की नगरी काशी है ll

Language: Hindi
6 Likes · 6 Comments · 790 Views
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