” दिव्य आलोक “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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हम तो लेखकों ,साहित्यकारों ,कविओं और दिव्य पुरुषों के निकट नहीं पहुँच पातें हैं ! अधिकांशतः दर्शन दुर्लभ होता है ! परन्तु उनकी कृतिओं,लेख ,प्रवचन ,कविताओं के रस पान से ही उनके सान्निध्य का एहसास होने लगता है……… महसूस तो दू …..र की बात है ! हमारे लिखने मात्र से आप हमारा आंकलन कर सकते हैं ! आर्मी ,नेवी और एयर फ़ोर्स के मनोवैज्ञानिक सर्विस सिलेक्शन बोर्ड में कैंडिडेट के विभिन्य परीक्षाओं जैसे इनटेलीजेन्स टेस्ट :एस ० आर ० टी : टी० ए ० टी ० : एस ० डी० और डब्लू ० ए ० टी ० से ही भारत के भविष्य और देश की सुरक्षा उनके हाथों में सौपते हैं ! वे उपरोक्त लिखित परीक्षाओं का ही आंकलन करते हैं ! किन्हीं से बातें नहीं होती है !हम जब कभी सोचने में शिथिल पड़ जाते हैं तो डिजिटल का बहाना बना लेते हैं ! …..हमलोग भी तो एक दूसरे से दूर हैं ! क्या हम एक दुसरे को महसूस नहीं कर सकते ? …….आपकी पांडुलिपियाँ हस्तलिखित ही आपके आंकलन के लिए प्रर्याप्त है ! रही सही आपके कंप्यूटर लिखित से भी कम चला सकते हैं ! …आप जब कभी लोगों को संबोधन करते हैं तो उन भंगिमा से ही आपका व्यक्तित्व छलकता है !
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डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड