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25 Sep 2019 · 1 min read

दिव्यमाला अंक 34

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जान गया जब नाग कालिया ,जमुना जल जो बहता है।

किसी शाप वश गरुड़ वहां पर,कभी नही जा सकता है।

अपनी सभी भार्या संग में , कालिया वहां फिर बसता है।

अब निर्भय होकर के प्राणी ,अपनी मन मर्ज़ी करता है।

जमुना के उस गहरे दह को ,किया स्थान.. कहाँ सम्भव?
हे पूर्ण कला के अवतारी………..67
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उधर नाग के कारण जमुना , विषमय नित होती जाती।

काला जल काली कालिंदी, अब नीली पड़ती जाती।

जो भी पीता जल जमुना का ,मृत्यु उसको मिलती जाती।

इसी वजह से उधर किसी की , हिम्मत बस मरती जाती।

जमुना तट जीवो से बनता , नित ही वीरान कहाँ सम्भव….?
हे पूर्ण कला के अवतारी ……68

क्रमशः

कलम घिसाई

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 2 Comments · 252 Views
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