दिव्यमाला अंक 34
******************************
जान गया जब नाग कालिया ,जमुना जल जो बहता है।
किसी शाप वश गरुड़ वहां पर,कभी नही जा सकता है।
अपनी सभी भार्या संग में , कालिया वहां फिर बसता है।
अब निर्भय होकर के प्राणी ,अपनी मन मर्ज़ी करता है।
जमुना के उस गहरे दह को ,किया स्थान.. कहाँ सम्भव?
हे पूर्ण कला के अवतारी………..67
********************************
उधर नाग के कारण जमुना , विषमय नित होती जाती।
काला जल काली कालिंदी, अब नीली पड़ती जाती।
जो भी पीता जल जमुना का ,मृत्यु उसको मिलती जाती।
इसी वजह से उधर किसी की , हिम्मत बस मरती जाती।
जमुना तट जीवो से बनता , नित ही वीरान कहाँ सम्भव….?
हे पूर्ण कला के अवतारी ……68
क्रमशः
कलम घिसाई