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20 Sep 2019 · 1 min read

दिव्यमाला (अंक 29)

गतांक से आगे……

दिव्य कृष्ण लीला ….अंक 29
*****************************
बकासुर प्रकरण
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********************?******??
श्रीकृष्ण ने देखा उसको ,और तुरत ही भांप लिया।

गए पास में उस दानव के ,पल में उसको नाप लिया।

चौन्च खोलकर दानव ने भी , कृष्ण को मुंह मे ढांप लिया।

श्री कृष्ण ने भीतर घुसकर,मारा दानव कांप गया।

छोड़े बाहर कृष्ण कन्हाई,होकर परेशान…

हे पूर्ण कला के अवतारी तेरा यशगान ….कहाँ सम्भव? 57
********************************

बाहर आकर चौन्च पकड़कर , चीर दिया दो भागों में।

आंखे बाहर निकली उसकी ,बदला तुरत विभागों में।

गोप ग्वाल सब ताली देते,गान लगे खुश रागों में।

बकासुर तो उतरा पार पर ,कंस हुआ अभागो में।

बार बार बस होता रहता ,बस परेशान… कहाँ सम्भव।

हे पूर्ण कला के अवतारी…..तेरा यशगान कहाँ सम्भव? 58
***********************
क्रमशः अगले अंक में
*********************
कलम घिसाई
©®
कॉपी राइट
9414764891

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 242 Views
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