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18 Sep 2019 · 1 min read

दिव्यमाला (अंक 27)

गतांक से आगे……

दिव्य कृष्ण लीला ….अंक 27
*****************************
वत्सासुर प्रकरण
******************************
उन गायों के बीच गए फिर ,जहां नया यह बछड़ा था ।

सभी सहज कब लग सकती थी,उनके बीच जब पचड़ा था।

कृष्ण तुरत ही भांप गए वो, वत्सासुर का लफ़ड़ा था।

फिर क्या था अगले ही पल में ,कृष्ण ने उसको पकड़ा था।

पूँछ पकड़कर फेंक दिया,सीधा आसमान…कहाँ सम्भव?

हे पूर्ण कला के अवतारी, तेरा यशगान…कहाँ सम्भव? 53
********************************
खूब घुमाया चक्कर उसको ,सांसे उसकी अटक गई।

गिरा ज़मीं पर पूर्ण वेग से ,अस्थियां सारी चटक गई।

झटका लगा कृष्ण को भी तब ,उनकी कमर मटक गई।

आयी विपदा अनजानी थी ,पल दो पल में निमट गई।

वत्सासुर का कान्हा ने यूँ ,किया समाधान… कहाँ सम्भव?

हे पूर्ण कला के अवतारी तेरा यशगान… कहाँ सम्भव? 54

क्रमशः अगले अंक में
*
कलम घिसाई
©®
कॉपी राइट
9414764891

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 5 Comments · 239 Views
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