दिवाली पर एक गरीब की इच्छा
दिवाली पर एक गरीब की इच्छा
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बनाकर दीये मिट्टी के,जरा सी आस पाली है |
मेरी मेहनत को खरीदो,मेरे घर भी दिवाली है ||
माना कि,तुमने सैकड़ो दीये घर अपने जलाये |
कुछ ऐसा भी करो मेरे घर में चूल्हा जल जाये ||
बांटते रहते हो मिठाई अपने ही तुम रिश्तेदारों में |
कुछ मिठाई उनको बांटो जो सोये है अंधियारों में |
खरीद कर विदेशी चीजे,देश को चौपट कर दिया।
अपना देश खाली कर के,विदेशो में ही भर दिया |।
जला रहे है दीये सब घर में,मेरे घर भी दीये जल जाये |
मेरा समान भी खरीद लो, मेरी दिवाली भी मन जाये ।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)