दिवाना कर गई बेटी
चहककर घर गली आँगन, सुहाना कर गई बेटी।
जहाँ रख दी कदम मिट्टी, खजाना कर गई बेटा।
कभी हँसना कभी रोना, कभी यूंँ खिलखिला देना,
तुम्हारी हर अदा मुझको, दिवाना कर गई बेटी।
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
चहककर घर गली आँगन, सुहाना कर गई बेटी।
जहाँ रख दी कदम मिट्टी, खजाना कर गई बेटा।
कभी हँसना कभी रोना, कभी यूंँ खिलखिला देना,
तुम्हारी हर अदा मुझको, दिवाना कर गई बेटी।
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य