दिल
दिल मे है आंधी कोई
अंदर दबी हुई
वरना यह इतना
परेशान सा क्यों है।
अब तो चाहतों का भी
कुछ शोर नहीं है
कुछ नया करने का भी
जोर नहीं है
न जाने फिर इतना ये
हैरान से क्यों है।
फिजा में सन्नाटा है
अंधेरा ही अंधेरा
बादल भी घिर आये
है तूफान घनेरा।
फिर भी ये अशांत है
वीरान से क्यों है।