****** दिल *****
दिल उलझा उलझा
रहता है उनकी जुल्फों
या फिर उनके ख्यालों में
उलझा उलझा रहता
रात-दिन पयमानो में
डूबा-डूबा रहता है
हम सोचते हैं उनका दिल
हमारे करीब होता है
क्या दोस्ती उनसे जो
दिल से बहुत गरीब
केवल दौलत से
अमीर होतें है
दोस्त दोस्त होते हैं
क्या वो भी हसीन
होते हैं
दिल तो दिल होता है
दिल के दिलबर ही
करीब होतें हैं
उलझा उलझा दिल
किस काम का
वो तो मुहब्बत के लिए
बेकाम होता है
बार-बार परेशान होता
और करता है
ऐसा भी दिल किस काम का
जो दिलबर को
बार बार परेशान करता है
दिल उलझे इकबार तो
फिर सुलझाये ना सुलझे
दिल तो आखिर दिल होता है
तभी तो उसे किसी से
प्यार होता है
?मधुप बैरागी