दिल
वर्ण पिरामिड
है
दिल
डरता
अब मेरा
उस गली में
रहता है जहाँ
वो दिल चोर वहाँ।
ए
हवा
उससे
कह देना
चोरी करना
अच्छा नहीं होता
मेरे दिल बसता।
मैं
तेरी
साजिशों
का निशाना
बनती रही
बेवफा थे तुम
बदनाम हुई मैं।
ना
करे
खुदा भी
कभी भी मैं
तेरे प्यार में
मरीज हो जाऊँ
और आंसू बहाऊँ।
एम के कागदाना
फतेहाबाद हरियाणा