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8 Jan 2019 · 1 min read

दिल ज़ाफ़रान

जो बात हमने खुद से छुपा रखी थी
वही बात हमारी कलम को रुला रही थी ॥

चुप रहने के लिए हमने रिश्वत दी किताबों को
मगर कमबख्त कागज़ गवाही देता गया ॥

लिखना चाहा दर्द ए गम काली स्याही से
कलम से उतरकर शब्द लाल रंग में तब्दील हो गए ॥

रोग ए मोहब्बत का इलाज कलम और दवात
लिखावट कोरे कागज़ पर होती है ॥

आसमान रात भर रोता रहा हमारे साथ
शायद वह भी किसी के साथ जीना चाहता था ॥

उन सूनी सूनी सड़कों की आहट मुझसे कहती है
वो पास नहीं मेरे फिर भी दिल में अक्सर रहती है ॥

जब जब सांस आती है तुम्हारी याद लाती है
क्या करें किसी ने हमारी लंबी उमर की दुआ मांगी है ॥

3 Likes · 1 Comment · 442 Views
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