दिल होवे शांत
दिल होवे शांत
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सारा – सारा दिन
सोंवा सारा दिन
सारी – सारी रात
पांवा मैं रात बात
दस हुण की करां
दस मैं कित्थे मरां
बैचैनी वी मारदी
करां की मैं बात
उदासी वी छा गई
बोरियत है आ गई
केहड़ा खेल खेलां
दिल हो जावे शांत
यार दी याद सतावे
सीने भांबड़ पावे
चित किवें मैं ठारा
मिल जै जावे राहत
अंगड़ाइयां ओंदियाँ
मैंनू बड़ी सतोंदियाँ
कित्थै मै पांवा बातां
कट जावे काली रात
मत्थै चढ़ी त्यौंरियां
यादां ऑण बतैरियाँ
कित्थै मर मुक जावां
किंवे हो जावां शांत
चा पी पी अक गए
सो सो वी थक गए
जै यारां नाल बहारां
खुशियाँ दिन – रात
हनेरा कदो जावेगा
वधिया वक्त आवेगा
सुखविन्द्र तर जावां
होवे नव शुरुआत
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)