दिल हमारा मचलता है __गजल/ गीतिका
वक्त है_ बदलता है_ अपनी ही गति से_ चलता है।
समझदार व्यक्ति वही जो अपनी मति से चलता है।
सूरज का काम होता जहां में रोशनी फैलाना,
रोशनी में नहाया दिन भी तो रात में बदलता है।।
न फैले अमानुषता जहान के किसी कोने में।
जब कोई रोता है तो दिल हमारा मचलता है।।
कुछ भी बोल देते है लोग जमाने में बिना सोचे समझे।
नादानी है यह उनकी न की इसमें चपलता है।।
छोड़ दे “अनुनय” राग द्वेष तकरार की सारी बाते।
ऐसी बातों से सुख शांति का दिल दहलता है।।
राजेश व्यास अनुनय