दिल से
लेखक डॉ अरूण कुमार शास्त्री
विषय आशीष
विधा स्वच्छंद काव्य
शीर्षक दिल से
आशीष आपके सभी शुभ फल दायक हों।
दुआ करता हूं आपका भला होता रहे।
निस्वार्थ भाव मानव के लिए हम सब करें प्रयत्न ।
दुनिया भर का सार्थक जन्म होता रहे।
कोई न दुःख से हो चिन्तित न ही कोई परेशान हो।
हे ईश्वर सब जगत का यूं ही आपकी दया से उद्धार हो ।
मेरे लिए बहुत ही खूबसूरत लगती है ये दुनिया।
जिस दुनिया में सबके लिए रोटी कपड़े मकान का शुभ इंतजाम हो ।
कर्म दिल से करें प्यार मन में भरा फिर शुभ कामनाएं फलित आशीष हों ।
हे ईश्वर सब जगत का यूं ही आपकी दया से उद्धार हो ।
पांच भौतिक शरीर में सभी कर्मेंद्रियां सुख आयुष्य आनन्द देती रहें ।
मन आत्मा झूमे संसार के रचयिता का भरा दिल में प्यार हो ।
छोड़ कर तेरा मेरा सबके लिए समान रूप से व्यवहार हो ।
ऐसा ही आशीष मिलता रहे ईश का प्रसन्नचित खुशहाल ये संसार हो ।
धरती बनेगी स्वर्ग यदि हम सभी प्रेम आदर से मिल जुल कर रहें।
आसुरी प्रवृति को त्याग कर सारे विश्व में शांति प्रदान हो ।
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