दिल से निकले हुए कुछ मुक्तक
मेरे दिल में हो तुम,
मेरी सांसों में हो तुम।
देखती हूं मै जिधर,
दिखाई देते हो तुम।।
मेरी धड़कनों में हो तुम,
मेरी तड़पनो में हो तुम।
बन्द हो जाती हैं दोनो,
जब आ जाते हो तुम।।
मेरे मन्दिर हो तुम,
मेरे देवता हो तुम।
मानती हूं बस तुम्हे
मेरी पूजा हो तुम।।
मेरे प्यार भी हो तुम,
मेरे इकरार भी हो तुम।
आते नही जब तक तुम,
इंतजार करते है हम।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम