दिल से दिल का तार मिला लें !
दिल से दिल का तार मिला लें !
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क्या रिश्ते नाते होते सारे इसी लिए हैं….
कि आपस में ही हम सब झगड़ पड़ते हैं !
ऐसी बातें तो बर्दाश्त के काबिल ही नहीं,
कि छोटी सी बातों पे ही हम मर मिटते हैं !!
अपनों को ही रुसवा ना करें तो अच्छा ,
फिजूल में पंगा कभी ना लें तो अच्छा !
गिले शिकवे को मिल-जुलकर दूर करें ,
दिल से दिल का तार मिला लें तो अच्छा !!
गर चार आने अपने ही ले गए तो क्या !
मुट्ठी भर दाने अपने ही खा गए तो क्या !
दो बित्ता जमीन कम ही पड़ गए तो क्या !
पुरखे के धन तो रह गये सारे अपने ही यहाॅं !!
चार दिनों की खुशियाॅं हैं, निस्संकोच जियें ,
छोटी-छोटी बातों पे ना कभी झगड़ते फिरें !
परस्पर एक-दूसरे की मजबूरियों को समझें ,
राह रोकने की जगह राह के सारे कंटक चुनें !!
फिर देखिए रिश्तों में कितना मिठास आता है !
औरों की ही खुशी औरों को कितना रास आता है !
एक दूसरे में घुल-मिलकर कितना निखार आता है !
अपने अंतर्मन में झांकें, नज़र सारा संसार आता है !!
हम सब एक इंसान हैं, गलतियाॅं हो जाती हैं ,
इसका मतलब ये नहीं कि आपा हम खो बैठें !
जब कभी अपनों से बड़ा मतभेद कुछ हो जाए….
तो पूर्वजों को याद कर इक समाधान इसका ढूंढें !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
कटिहार ( बिहार )
दिनांक : 23 नवंबर, 2021.
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