दिल से जो की नहीं है, वो बंदगी नहीं है!
गज़ल
काफ़िया- ई स्वर
रद़ीफ- नहीं है!
मफ़ऊलु फ़ाइलातुन मफ़ऊलु फ़ाइलातुन
221……2122…….221……..2122
जो चांद से न पाई, वो चांदनी नहीं है!
दिल से जो की नहीं है, वो बंदगी नहीं है!
टूटा है दिल हमारा, ये हम ही जानते हैं,
चहरे पे दिख रही है,असली खुशी नहीं है!
दुशवारियाँ हैं कितनी, बाहर निकल के देखो,
दुनियाँ मे दर्दोंगम हैं, हम ही दुखी नहीं हैं!
फूलों की चाह में वो, गुलशन उजाड़ देंगे,
कलियाँ मसल रहे जो, अबतक खिली नहीं हैं!
जो कहते थे हमेशा, हम दिल से हैं तुम्हारे,
इस दौरे गर्दिशों में, सुधि भी तो ली नहीं है!
क्या सुन रहे हैं हम सब, जहरीली हैं हवाएं,
ऐसी हवा कभी भी, पहले चली नहीं है!
पाबंदियां लगी हैं, नजदीकियों पे यारो,
‘प्रेमी’ को सब है हासिल, दिल की खुशी नहीं है!
……. ✍ प्रेमी
15 जून, 2021