दिल श्मशान होता जा रहा है
ये दिल नादान होता जा रहा है
खुद से अंजान होता जा रहा है
जो कल तक माँगता कुर्बानियाँ था
वो खुद कुर्बान होता जा रहा है
बिकेगा शौक से के आदमी अब
फ़क़त दूकान होता जा रहा है
जिसे घर जैसा होना चाहिए था
वही मेहमान होता जा रहा है
कई यादें हुई हैं दफ़्न दिल में
के दिल श्मशान होता जा रहा है
यहाँ पर लोग सारे अजनबी हैं
ये घर माकान होता जा रहा है