दिल लगा बैठे
आपसे जबसे दिल लगा बैठे।
ख्वाब पलकों पे हम सजा बैठे।।
ढूंढते खुद ही आ गए आखिर।
पूछने जिसका हम पता बैठे।।
मन मेरा बन गया है देवालय।
आपको देवता बना बैठे।।
दोनों पत्थर जिगर जो टकराये।
आग चाहत की हम जला बैठे।।
दूरियाँ दरमियाँ रखीं हरदम।
दिल कहीं कर न कुछ खता बैठे।।
सबने फेंके थे उन्हीं पत्थर से।
खूबसूरत मकां बना बैठे।।
भा गयी यार को मेरी सूरत ।
आइने मुझको यह बता बैठे।।
चुन लिया ज्योति ने सनम तुमको।
प्यार का आशियाँ बसा बैठे।।
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव