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27 Mar 2022 · 1 min read

दिल ये पहले से सजा रक्खा है /

दिल ये पहले से सजा रक्खा है ।
उनको घर पै जो बुला रक्खा है ।

वो तो आएँगे हवा की मानिंद,
इसलिए द्वार खुला रक्खा है ।

खिड़कियाँ साफ नहीं हैं,उनमें
साफ सीसे को लगा रक्खा है ।

फर्श पर धूल बहुत है,लेकिन
उसपै कालीन बिछा रक्खा है ।

मेज जो साफ नहीं है,उस पर
साफ कपड़े को चढ़ा रक्खा है ।

कोई दीपक नहीं मेरे घर में
पूरा सूरज ही जला रक्खा है ।

यूँ तो उजड़ा है चमन,पर घर में
फूल माली से लिया रक्खा है ।

कुछ बचा ही नहीं सका अब तक
इसलिए वक्त बचा रक्खा है ।

कोई ‘ईश्वर’ है जिसने ईश्वर को
आपका हाल सुना रक्खा है ।
—– ईश्वर दयाल गोस्वामी

8 Likes · 6 Comments · 224 Views

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