दिल ये इज़हार कहां करता है
दिल ये इज़हार कहां करता है
कद्र न करने वालों पर ही मरता है।
जो चेहरे छुपे रहते हैं नकाबों मे
उनको देख कर भी ये धड़कता है।
कोई वफ़ा करे या कोई करें बेवफाई
कम्बख़त इंतज़ार उसी का करता है।
बहुत मुख्तलिफ तहरीरें है इश्क की
चाहतों में बस एक का दम भरता है।
क्यों बार-बार आवाजे़ दें लौटने की
राह ए इश्क़ से भला कौन मुड़ता है।
सुरिंदर कौर