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25 Jul 2016 · 1 min read

दिल यूँ

दिल यदि यूँ हो कैद शज़र करता
कैसे तब इसमें रह बसर करता
निकल पड़ता तोड़ सब भित्तियाँ
मेहबूब अपनी बूँ से असर करता

गुलाब सा सुकुमार है दिल मेरा
भवरा जहाँ डाले बन पिय डेरा
छुपी मधु कोमल कान्त मुस्काँ
तभी उत्सर्ग तेरे लिए प्रिय मेरा

जिन्दगी तो ज़ंग हर रोज लड़तीं है
कभी फूलों तो कभी शूलों चलती है
है खुश किस्मत वो जो पास से देखे
साज अन्तिम सजा मौत चूमती है

Language: Hindi
71 Likes · 560 Views
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