दिल में तेरी यादों का अब हरदम रहता मेला है
ग़ज़ल (बह्र – मुतदारिक मख़बून मुसक्किन महज़ूफ
अरकान-फेलुन *7 फे)
दिल में तेरी यादों का अब हरदम रहता मेला है।
फिर भी जाने क्यों मेरा दिल खाली खाली रहता है।।
सूखे पेड़ सभी चाहत के दिल अब रेगिस्तान हुआ।
फिर भी इसमें उम्मीदों का इक झरना तो बहता है।।
क्या होता है इंतजार का मतलब मैने अब समझा।
इक लम्हा भी अब तो जैसे एक सदी सा लगता है।।
मैने आईनों को भी तो झूठ दिखाते है देखा।
जब भी अपना चेहरा देखूं तेरा चेहरा दिखता है।।
माना अंधियारा फैला है चारों ओर “अनीस ” यहां।
दिल के आंगन में यादों का इक दीपक तो जलता है।।
—अनीस शाह “अनीस”