दिल में उतर गई है रात
दिल में उतर गई है रात,
तभी तो हमेशा से रात का ही इंतजार होता है!
दिन गुजर जाती है हंसते हंसाते,
अंधेरे और अकेलापन का कहर जोरदार होता है!
शीतल चांदनी रात में मुंडेर पर बैठे,
चांद में महबूब को ढूंढने में रात गुजरती है!
रात के सन्नाटे में आहट उसके पायल की,
छन छन छन छन सुनाई देती है!
शायद भ्रम भी होती है क्यों कि,
सिर्फ आवाज आती है वो नहीं आती!
निराश होकर आंसू पोंछकर
सोते हैं दिल में यादे लिए खुले आसमान के नीचे,
रात ही फिर मिलवाती है उनसे ख्वाबों में उनके रूह से,
जिनसे मुझे मोहब्बत है!!!!