Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2024 · 1 min read

दिल में इश्क भरा है

दिल में इश्क़ भरा है ।
ये जादू तूने करा है, ।

ख्वाब रूठ गये हैं मेरी नींदों से
पता नहीं ये क्या माजरा है।

बेबस हो जाए दिल तेरे सामने
देखो तो इसका क्या नखरा है।

ऐसे संभाला है तेरे इश्क को
जैसे मेरी आंख का कजरा है।

थकेंगे नहीं इस पे चलते-चलते
माना कि सफ़र दर्द भरा है।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
24 Views
Books from Surinder blackpen
View all

You may also like these posts

प्रीतघोष है प्रीत का, धड़कन  में  नव  नाद ।
प्रीतघोष है प्रीत का, धड़कन में नव नाद ।
sushil sarna
यादों की याद रखना
यादों की याद रखना
Dr. Rajeev Jain
"अर्धांगिनी"
Dr. Kishan tandon kranti
विजयी
विजयी
Raju Gajbhiye
मीठा गान
मीठा गान
rekha mohan
#हरिहर मेरे राम जी
#हरिहर मेरे राम जी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*वाह-वाह क्या बात ! (कुंडलिया)*
*वाह-वाह क्या बात ! (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
राखी की यह डोर।
राखी की यह डोर।
Anil Mishra Prahari
पाँच चौपाईयाँ
पाँच चौपाईयाँ
अरविन्द व्यास
चला गया आज कोई
चला गया आज कोई
Chitra Bisht
अब हर्ज़ क्या है पास आने में
अब हर्ज़ क्या है पास आने में
Ajay Mishra
- तुम्हारी व्याख्या -
- तुम्हारी व्याख्या -
bharat gehlot
***
*** " ये दरारों पर मेरी नाव.....! " ***
VEDANTA PATEL
सु
सु
*प्रणय*
जिंदगी और वक्त
जिंदगी और वक्त
पूर्वार्थ
सुबह की नमस्ते
सुबह की नमस्ते
Neeraj Agarwal
3196.*पूर्णिका*
3196.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
” भेड़ चाल “
” भेड़ चाल “
ज्योति
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
Manju sagar
कोटेशन ऑफ डॉ . सीमा
कोटेशन ऑफ डॉ . सीमा
Dr.sima
कर लो कर्म अभी
कर लो कर्म अभी
Sonam Puneet Dubey
अगर ढूँढू ख़ुशी तो दर्द का सामान मिलता है
अगर ढूँढू ख़ुशी तो दर्द का सामान मिलता है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
उषा का जन्म
उषा का जन्म
महेश चन्द्र त्रिपाठी
एक बेवफा का प्यार है आज भी दिल में मेरे
एक बेवफा का प्यार है आज भी दिल में मेरे
VINOD CHAUHAN
आदि ब्रह्म है राम
आदि ब्रह्म है राम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
किसकी कश्ती किसका किनारा
किसकी कश्ती किसका किनारा
डॉ० रोहित कौशिक
प्रेमरस
प्रेमरस
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Life
Life
Neelam Sharma
हिंदी दिवस पर एक आलेख
हिंदी दिवस पर एक आलेख
कवि रमेशराज
आज का इंसान खुद के दुख से नहीं
आज का इंसान खुद के दुख से नहीं
Ranjeet kumar patre
Loading...