दिल में आग है
यह अश्क़ में भीगी ग़ज़ल,खून में डूबे राग हैं,
लबों पर जलते हुए लफ्ज़ यह मेरे दिल की आग है,
अब वक्त है जुदाई का,जा इनकार न कर,
मेरी शख्शियत पर लगे हैं दाग,अब और गुनहगार न कर
बुझी सांसे जलता हुआ दिल,और तू है,
कि अब सांसों को तार तार न कर ,
रहने दे जा तू मुझे और प्यार न कर,