***दिल बहलाने लाया हूँ***
***दिल बहलाने लाया हूँ***
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मै नगमें गजलें लाया हूँ,
तेरा दिल बहलाने आया हूँ।
अंधेरों से हूँ लड़ता आया,
रोशन हो कर पथ में छाया हूँ।
कदमों में रहता गिरता-पड़ता,
गिर गिर कर ही उठ पाया हूँ।
दरिया मे गोते खाते – खाते,
लहरों से जा कर टकराया हूँ।
गम के सागर में तेरी खातिर,
आँसू के प्याले भर आया हूँ।
मनसीरत छोटे छोटे नजरानें,
महफ़िल में कुछ गा पाया हूँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)