दिल पैमाना चाहे क्यों
नयन मिलाना चाहे क्यों
दीप जलाना चाहे क्यों
तूने पिला दी नज़रों से
दिल पैमाना चाहे क्यों
मरता हूँ मैं खामोशी पर
गीत सुनाना चाहे क्यों
शम्मा की खातिर परवाना
जान लुटाना चाहे क्यों
प्रीत पुरानी भुला के कोई
नया जमाना चाहे क्यों
ख्वाब तिरे जागीर मिरी
नींद उड़ाना चाहे क्यों
करे प्यार से कत्ल हुस्न तो
दिल बच जाना चाहे क्यों
तूने जिस पर प्यार लुटाया
वो नजराना चाहे क्यों
अब पागल ही हो जाऊँ क्या
तू मुस्काना चाहे क्यों
तेरा मिलना जन्नत पाना
जन्नत जाना चाहे क्यों
तूने जिसे उदासी दे दी
वो मुस्काना चाहे क्यों
तू ठहरे तो धड़कन ठहरे
फिर थक जाना चाहे क्यों
खामोशी है जुबां प्यार की
शोर मचाना चाहे क्यों
संजय नारायण