दिल पे तुम मेरे रहते
2122 2122 212
दिल पे तुम अब मेरे रहते क्या हुआ
दिल ये कहता क्या ये करते क्या हुआ
तुम अना अपनी कभी समझे नही
और खुद तुम ही कहते क्या हुआ
साथ देते हो कहाँ तुम आज भी
धोखे मिलने पर ये कहते क्या हुआ
दर्द जिंदगी ने दिये हमको बहुत
ज़ख्म लगने पर ये कहते क्या हुआ
मेरी तन्हाई से है तुमको सुकूँ
रात भर तन्हा ही रहते क्या हुआ
-आकिब जावेद