दिल पर दो मुक्तक—-आर के रस्तोगी
दिल दिया है जब से तुझको ,
तडफन हो रही है मुझको |
दिन तो कट जाते है लेकिन ,
राते करती है बैचेन मुझको ||
दिल देना कोई दिल्लगी नहीं ,
ये गुड्डे गुडियों का खेल नहीं |
ये मिलते है बड़ी मुश्किल से ,
इनको ढूढ़ना कोई आसन नहीं ||
आर के रस्तोगी
मो 9971006425