दिल धड़क उठा
दिल धड़क उठा,तेरे आने की खबर से।
हवायें दे रही पता,तुम चल चुके शहर से।
बांधी पांव में पायल,और जुल्फें भी संवारी
नयी है हर अदा, बचना हुस्न के कहर से।
मन में नयी है उमंग , गीत गाये है दिन रात
गये पैर डगमगा, भटकी मैं हर बहर से।
हम न बात करेंगे, तुम से रूठे ही रहेंगे
हम ही झुके क्यों, मनाओ हमें कदर से।
देखा जो ग़ैर को, दिल को तड़पा गये
टूटा दिल फिर ऐसा पत्ता टूटा हो शजरसे
सुरिंदर कौर