*दिल दरिया बहुत अमीर है*
दिल दरिया बहुत अमीर है
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दिल दरिया बहुत अमीर है,
शीतल् सी चले समीर है।
फुकरा तो लगा कहीं नही,
मन मौजी भ्रमर फकीर हैँ।
वो खुलकर बता सका नहीं,
नियमों की बंधी लकीर है।
है सब के सदा करीब सा,
बंदा वो बड़ा नसीर है।
धोखा भी दिया कभी नहीं,
दिल भरता नहीं ज़मीर है।
गैरों के फ़िक्र-जिक्र में रहा,
बन जाता सदा वज़ीर है।
दरिया से सदा वो डूबता,
दुनिया की नजर नज़ीर है।
मनसीरत सत्य है बोलता,
मानव जन जना कबीर है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)