दिल तुम्हारा हुआ – गजल कोमल अग्रवाल ।
दिल तुम्हारा हुआ- कोमल अग्रवाल की गजल
जाने कब नजरों का एक इशारा हुआ,
बात ही बात मे दिल तुम्हारा हुआ।
वो अचानक ही या मुझसे टकरा गए
बस घड़ी भर का ये खेल सारा हुआ।
जो कभी कंकड़ों सा चुभा था किया
एक दिन आसमान का सितारा हुआ।
वो तो एक ख्वाब था बस रहा ख्वाब ही
न तुम्हारा हुआ न हमारा हुआ।
साथ चल न सके तुम भी सबकी तरह
बदनसीबी मे अपना गुजारा हुआ।
मैं जहर पी गई सिर्फ ये सोचकर
इसमे नुकसान क्या न तुम्हारा हुआ।
रोया करती हैं नदियां गले उससे मिल
इसलिए ही समंदर है खारा हुआ।
फिर कमल की तरह वो न कोमल रही
दिल लगाना न फिर से गवारा हुआ ।।