दिल जो टूटा कभी भी कलमकार का ये कलम शब्द के पार फिर जाएगी।
दिल जो टूटा कभी भी कलमकार का,
ये कलम शब्द के पार फिर जाएगी।
वेदना की घनीभूत पीड़ा निकल,
तीर सी चीर कागज का उर जाएगी।
चार दिन चांदनी ही मिले चाँद को,
रात घनघोर मावस की फिर आएगी।
स्वप्न सजते समय के बियावान में,
टूटने से कहानी ठहर जाएगी।
अश्रु की बूंद गिर स्वाॅति सीपी सरिस,
भाव के मोतियों सी बिखर जाएगी ।
अनुराग दीक्षित