” दिल गया है हाथ से “
गीत
हाथ ने जब हाथ थामा ,
दिल गया है हाथ से !!
है खुशी का दौर अब तो ,
पंख जैसे लग गये !
है विचारों की उड़ानें ,
ख्वाब रंगीं सज गये !
स्वप्न हाथों में समेटे ,
गये भय से कांप से !!
आज को हमने सजाया ,
कल यहाँ बिखरा लगे !
प्रीत जो झूँठी दिखाते ,
आज वे लगते ठगे !
गीत अधरों पर बसे हैं ,
हर्ष की बस थाप से !!
चाह किलकारी भरे है ,
राह में बस फूल हैं !
दर्द अब भी है कसकता ,
याद आते शूल हैं !
समय ने बदली है करवट ,
वक्त बदला आप से !!
अभी चढ़ना है कसौटी ,
जो हुए अनुबंध है !
जिंदगी में हर कदम पर ,
रोज मिलते द्वंद है !
स्वर्ण सा बस है निखरना ,
नहीं डरना ताप से !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )