दिल को भा जाए कोई
बातों बातों में यूँ दिल को भा जाए कोई।
आँख मीचूँ भी तो ख्वाब में आ जाए कोई।
जो मैं सो जाऊँ तो आहिस्ता जगाए कोई।
साथ जागे भी सपने भी दिखाए कोई।
अपनी आँखों में समन्दर भी छिपाए कोई।
इनमें धोखे से कहीं डूब न जाए कोई।
मरने वाला भी ये चाहे न बचाए कोई।
नज़रें कातिल हों तो क्यों ना मर जाए कोई।
दिल ये चाहे कि मुझको भी सताए कोई।
अपना गम कह के मुझे काश रुलाए कोई।
संजय नारायण