दिल को बीमार इस कदर देखा
दिल को बीमार इस कदर देखा
इश्क में डूबा तर -बतर देखा
जब भी तुमने उठा नज़र देखा
उसका धड़कन पे भी असर देखा
अपने सपने के ही लिए हमने
देखी मंज़िल नहीं सफर देखा
दोस्ती प्यार में यूँ बदली है
हमने तुममें जो हमसफ़र देखा
उनकी जुल्फों के बीच में हमने
दिखता छिपता हुआ क़मर देखा
ज़िन्दगी भी लगी हसीं हमको
तुमने जब हाथ थामकर देखा
ये न मन्दिर से कम लगा हमको
‘अर्चना’ जब कभी भी घर देखा
9-08-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद