*दिल के सारे राज खोलूँ*
दिल के सारे राज खोलूँ
********************
दिल के सारे राज खोलूँ,
मन की बातें आज बोलूँ।
मनमौजी गमखोर मनवा,
गम भी अपने पास ढोलूँ।
उर में कटुता आन भरती,
मीठी मिसरी प्यार घोलूँ।
सीने प्यासी प्यास जागी,
घुट कर गलहार डोलूँ।
आ बाजू के घेर में झट,
दिल भर तेरा भार तोलूँ।
मनसीरत मन जग आया,
हिय में आये भाव रोकूँ।
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)