दिल के भी हाल चाल मगर पूछते चलो
कितना भी तेज ज़िन्दगी में तुम चले चलो
दिल के भी हाल चाल मगर पूछते चलो
सपनों के साथ रिश्तों को है साधना तुम्हें
अपनी खुशी या गम से उन्हें जोड़ते चलो
दिल से मिटेंगी नफ़रतें खिल जाएंगे सुमन
बरसात प्यार की करो और भीगते चलो
हर शय ही है गुलाम हमेशा से वक़्त की
कुछ करना है तो साथ तुम भी वक़्त के चलो
मन हारने न देना कभी अपना ‘अर्चना’
हर हार में भी जीत को ही ढूँढते चलो
25-06-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद