दिल के पहरेदार
दिल किसी को ढूढ़ता है, बेशक करता इज़हार नही l
जब मिल जाता है कोई साथी, हो जाता है प्यार वही ।।
प्यार का कोई वक़्त नही, ऊपर इसके पहरेदार कई l
झुक जाते कोमल डाली से, जब हो जाता दीदार कही ll
प्रेम बंधन में आ जाये रोडे, गम के दिल मे बन जाये फोड़े l
सहते ही रहते हस कर ही सही, बेशक़ करते इज़हार नही ll
बेखबर है तू “संतोषी”, छिपे हुए कही पहरेदार।
प्यार तेरा बेशक़ हो साँचा, पर बेवफा बन गये किरदार ll
खा लिया धोखा कोई सार नही, बेशक़ करते इजहार नही
दिल किसी को ढूढ़ता है, बेशक करता इज़हार नही l